साक्षात्कार का शाब्दिक अर्थ ‘अपने आप को किसी के सामने रख देना’ होता है।हिंदी गद्य की नवीन साहित्यिक विधाओं में साक्षात्कार प्रमुख साहित्यिक विधा है
छंद की परिभाषा, भेद, अंग, chhand ki paribhasha, bhed, ang छंद शब्द ‘छम्‘ और ‘द‘ दो शब्दों के योग से बना है, जिसमें छम् का
भूषण का जीवन परिचय, bhushan ka jiwan parichay भूषण रीतिबद्ध काव्यधारा एवं वीररस के प्रसिद्ध कवि थे। भूषण का जन्म 1613 ई. में हुआ था।
भिखारीदास का जीवन परिचय, bhikharidas ka jiwan parichay भिखारीदास प्रतापगढ़ (अवध) के पास टयोगा गांव के रहनेवाले श्रीवास्तव कायस्थ थे। इन्होंने अपना वंश परिचय पूरा
मतिराम का जीवन परिचय, matiram ka jiwan parichay मतिराम आचार्य और कवि चिंतामणि त्रिपाठी एवं भूषण के बड़े भाई थे, इनका जन्म तिकवापुर (कानपुर) में
चिंतामणि का जीवन परिचय, chintamani ka jiwan parichay चिंतामणि का जन्म 1609 ई. तिकवाँपुर (कानपुर) में हुआ था | रचनाकाल – 1643 ई. के आसपास।
केशवदास का जीवन परिचय, keshawadas ka jiwan parichay केशवदास का जन्म बुन्देलखण्ड के ओरछा नामक नगर में सन् 1555 ई० में और मृत्यु सन् 1917
हिंदी साहित्य का रीतिकाल, hindi sahity ka ritikal रीतिकाल शब्द का पहला प्रयोग आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने किया। संस्कृत काव्यशास्त्र में रीति शब्द का प्रयोग
तुलसीदास की रचनाएँ, tulasidas ki rachanayein ⇒ तुलसीदास की प्रथम रचना वैराग्य संदीपनी तथा अंतिम रचना कवितावली को माना जाता है। कवितावली के परिशिष्ट में
तुलसीदास का जीवन परिचय, tulasidas ka jiwan parichay ⇒ तुलसीदास के संदर्भ में निम्नलिखित रचनाओं से जानकारी प्राप्त होती है 1- गोकुलनाथ- दो सौ बावन