प्रमुख रिपोर्ताज व उसके लेखक, तत्व ,विशेषता,तथ्य

रिपोर्ताज संबंधी मुख्य तथ्य 

⇒ रिपोर्ताज का अभिप्राय है कि किसी आँखों देखी घटना का यथातथ्य वर्णन है जिसमें संपूर्ण विवरण दृश्यमान हो जाता है । reportaz w uske lekhak 
⇒ रिपोर्ताज फ़्रांसीसी भाषा का शब्द है । गद्य विधा के रूप में इसका आविर्भाव द्वितीय विश्व युद्ध के आसपास हुआ ।
⇒ डॉ. हरदयाल का कहना है कि रिपोर्ताज की उत्पत्ति द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुयी।
⇒ रिपोर्ताज के जनक के रूप में रूसी साहित्यकार इलिया एहरेनवर्ग को स्वीकार किया जाता है ।
⇒ हिन्दी में रिपोर्ताज का जनक शिवदान सिंह चौहान को माना जाता है।
⇒ रूपाभ पत्रिका के दिसम्बर, 1938 में प्रकाशित ‘लक्ष्मीपुरा‘ को हिन्दी का प्रथम रिपोर्ताज माना जाता है ।
⇒ रिपोर्ताज शैली में चंडी प्रसाद सिंह लिखित ‘युवराज की यात्रा‘ (1897) प्रिंस ऑफ वेल्स की भारत यात्रा का विस्तृत और व्यौरेवार वर्णन है ।

प्रमुख रिपोर्ताज व उसके लेखक 

⇒ शिवदान सिंह चौहान – (1) लक्ष्मीपुरा, (2) मौत के खिलाफ जिन्दगी की लड़ाई।
⇒ रांगेय राघव – तूफानों के बीच (1941)
⇒ प्रकाश चन्द गुप्त – (1) स्वराज्य भवन, (2) अल्मोड़े का बाजार, (3) बंगाल का अकाल ।
⇒ उपेन्द्रनाथ अश्क – पहाड़ों में प्रेममय संगीत
⇒ रामनारायण उपाध्याय  – (1) गरीब और अमीर पुस्तकें (1958), (2) नववर्षांक समारोह में ।
⇒ भदन्त आनन्द कौशल्यायन – देश की मिट्टी बुलाती है
⇒ शिवसागर मिश्र – वे लड़ेंगे हजार साल (1966)
⇒ धर्मवीर भारती – युद्ध यात्रा (1972)
⇒ कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ – क्षण बोले कण मुस्काए
⇒ शमशेर बहादुर सिंह – प्लाट का मोर्चा (1952)
⇒ फणीश्वरनाथ रेणु –
(1) ऋणजल धन जल (2) नेपाली क्रांति कथा (1978), (3) श्रुत- अश्रुत पूर्व (1984), (4) एकलव्य के नोट्स
⇒ विवेकी राय – (1) जुलूस रूका है (1977), (2) बाढ़ ! बाढ !!बाढ़ !!!
⇒ डॉ० भगवतशरण उपाध्याय – खून के छींटे
⇒ रामकुमार वर्मा – पेरिस के नोट्स
⇒ कैलाश नारद – धरती के लिए
⇒ जगदीश प्रसाद चतुर्वेदी – चीनियों द्वारा निर्मित काठमाण्डू – ल्हासा सड़क
⇒ निर्मल वर्मा – प्राग: एक स्वप्न
⇒ सती कुमार – क्या हमने कोई षड्यंत्र रचा था ?
⇒ श्रीकांत वर्मा – मुक्ति फौज, अपोलो का रथ 
⇒ कमलेश्वर – क्रान्ति करते हुए आदमी को देखना
⇒ चंडी प्रसाद सिंह – युवराज की यात्रा (1897)

रिपोर्ताज की विशेषता 

1- रिपोर्ताज में मर्मस्पर्शिता होती है |
2- रिपोर्ताज में चित्रोपमता होती है |
3- रिपोर्ताज में कथात्मकता होती है |
4- रिपोर्ताज में संक्षिप्तता होती है |
5- रिपोर्ताज में सत्यता होती है |
6- रिपोर्ताज में एक प्रवाह होता है |
7- रिपोर्ताज में सजीवता होती है |

रिपोर्ताज के तत्व 

1- पत्रकारिता रिपोर्ताज का प्रमुख तत्व है |
2- जन जीवन के प्रति सहानुभूति रिपोर्ताज का प्रमुख तत्व है |
3- तथ्यात्मकता रिपोर्ताज का प्रमुख तत्व है |
4- सिमित आकार रिपोर्ताज का प्रमुख तत्व है |

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