साक्षात्कार का शाब्दिक अर्थ ‘अपने आप को किसी के सामने रख देना’ होता है।हिंदी गद्य की  नवीन साहित्यिक विधाओं में साक्षात्कार प्रमुख साहित्यिक विधा है

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रिपोर्ताज संबंधी मुख्य तथ्य  ⇒ रिपोर्ताज का अभिप्राय है कि किसी आँखों देखी घटना का यथातथ्य वर्णन है जिसमें संपूर्ण विवरण दृश्यमान हो जाता है

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गद्यगीत या गद्यकाव्य के प्रवर्तक राय कृष्णदास हैं । इसकी शुरुआत छायावाद युग से मानी जाती है । राय कृष्णदास ने गीतों को लयबद्ध तरीकेसे

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हिंदी साहित्य में संस्मरण विधा का प्रारंभ द्विवेदी युग से माना जाता है। रेखाचित्र और संस्मरण में नाममात्र का अंतर है। संस्मरण शब्द स्मृ धातु

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अंग्रेजी के ‘स्केच‘ शब्द का पर्यायवाची रेखाचित्र है। हिंदी में इसे ‘शब्दचित्र‘ भी कहते हैं। व्यक्तिचरित्र, शब्दांकन, चरित्रलेख इत्यादि इसके अन्य नाम हैं। शब्दों के द्वारा

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