छंद की परिभाषा, भेद, अंग, chhand ki paribhasha, bhed, ang छंद शब्द ‘छम्‘ और ‘द‘ दो शब्दों के योग से बना है, जिसमें छम् का
Category: हिंदी काव्यशास्त्र
![अलंकार सिद्धांत, अलंकार की परिभाषा, अलंकार के प्रकार अलंकार सिद्धांत, अलंकार की परिभाषा, अलंकार के प्रकार](https://hindisahitytest.com/wp-content/uploads/2021/04/20210427_155303_compress12.jpg)
अलंकार सिद्धांत (alankar soddhant) या अलंकार सम्प्रदाय के प्रवर्तक आचार्य भामह हैं। भामह का समय छठी सदी है। भामह ने अलंकार सम्प्रदाय की स्थापना की
![काव्य प्रयोजन का विवेचन | भारतीय काव्यशास्त्र काव्य प्रयोजन का विवेचन | भारतीय काव्यशास्त्र](https://hindisahitytest.com/wp-content/uploads/2021/04/20210428_094707_compress13.jpg)
काव्य प्रयोजन का विवेचन, अर्थ या तात्पर्य काव्य का उद्देश्य या लक्ष्य होता है। अर्थात काव्य का एक निश्चित उद्देश्य ही काव्य प्रयोजन प्रकट करता
![काव्य हेतु । प्रतिभा। व्युत्पत्ति। अभ्यास। परिभाषा। प्रकार काव्य हेतु । प्रतिभा। व्युत्पत्ति। अभ्यास। परिभाषा। प्रकार](https://hindisahitytest.com/wp-content/uploads/2021/04/20210428_095841_compress58.jpg)
काव्य हेतु में हेतु का शाब्दिक अर्थ है काव्य के सहायक तत्व अर्थात जिन तत्वों के द्वारा काव्य का निर्माण होता है उन्हें काव्य हेतु
![ध्वनि सिद्धांत | परिभाषा | भेद | काव्यशास्त्र ध्वनि सिद्धांत | परिभाषा | भेद | काव्यशास्त्र](https://hindisahitytest.com/wp-content/uploads/2021/04/20210428_113713_compress24.jpg)
ध्वनि सिद्धांत काव्यशास्त्र का विषय है इसका स्वरूप अति विस्तृत और व्यापक है ध्वनि संप्रदाय के प्रवर्तक आनंदवर्धन है। ध्वनि सिद्धांत पर आधारित आनंदवर्धन की
![औचित्य सिद्धांत। व्युत्पत्ति। अर्थ। अवधारणा औचित्य सिद्धांत। व्युत्पत्ति। अर्थ। अवधारणा](https://hindisahitytest.com/wp-content/uploads/2021/04/20210428_114624_compress77.jpg)
औचित्य सिद्धांत व्युत्पत्ति और अर्थ औचित्य शब्द का उद्भव उचित शब्द से हुआ है। ‘उचितस्य भावम् औचित्य’ अर्थात जो वस्तु जिसके अनुरूप होती है उसे
![वक्रोक्ति सम्प्रदाय विवेचन। परिभाषा। प्रकार। वक्रोक्ति सम्प्रदाय विवेचन। परिभाषा। प्रकार।](https://hindisahitytest.com/wp-content/uploads/2021/04/20210428_122306_compress33.jpg)
वक्रोक्ति सम्प्रदाय शब्द का अभिप्राय वक्रोक्ति संप्रदाय के प्रतिष्ठापक आचार्य कुंतक हैं। काव्यशास्त्र में वक्रोक्ति वक्र और उक्ति दो पदों के योग से बना है। जिसका
![रीति सम्प्रदाय। वैदर्भी रीति। गौड़ीय रीति। पांचाली रीति रीति सम्प्रदाय। वैदर्भी रीति। गौड़ीय रीति। पांचाली रीति](https://hindisahitytest.com/wp-content/uploads/2021/04/20210428_143711_compress84.jpg)
रीति सम्प्रदाय सम्यक विवेचन रीति संप्रदाय के प्रवर्तक आचार्य वामन है वामन ने रीति संप्रदाय के साथ-साथ काव्य गुण की भी स्थापना की है।रीति शब्द
![काव्य गुण सम्प्रदाय। माधुर्य गुण। ओज गुण। प्रसाद गुण काव्य गुण सम्प्रदाय। माधुर्य गुण। ओज गुण। प्रसाद गुण](https://hindisahitytest.com/wp-content/uploads/2021/04/20210428_150005_compress6.jpg)
काव्य गुण का लक्षण व परिभाषा काव्य गुण का शाब्दिक अर्थ है विशेषता, शोभाकारी आकर्षक धर्म या दोषों का अभाव । आचार्य वामन के अनुसार
![काव्य दोष की परिभाषा। भेद। उदाहरण काव्य दोष की परिभाषा। भेद। उदाहरण](https://hindisahitytest.com/wp-content/uploads/2021/04/20210428_151603_compress67.jpg)
काव्य दोष की परिभाषा व लक्षण जिसके कारण काव्य के रसास्वादन में व्यवधान हो उसे काव्य दोष कहते हैं। जिस प्रकार काव्य गुण के कारण