आदिकाल क्विज -4, online test of hindi sahitya aadikal

online test of hindi sahity aadikal

आदिकाल क्विज का यह चतुर्थ पार्ट है | online test of hindi sahitya aadikal | आदिकाल का यह क्विज हिंदी साहित्य सम्बन्धी प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है | आदिकाल का यह प्रैक्टिस question आगामी tgt, pgt, net, jrf, assistant professor के एग्जाम के लिए बहुत हि कारगर शिद्ध होगा | 

टेस्ट सबमिट करने के बाद परीक्षार्थी अपना प्राप्तांक और प्रश्नों के ठीक-ठीक उत्तर देख सकते हैं |

1. निम्नलिखित किस रचना में कड़वक शैली का प्रयोग नहीं हुआ है?

 
 
 
 

2. .दब्ब-सहाव-पयास नामक अपभ्रंश में लिखित ग्रन्थ की रचना किसने की है ?

 
 
 
 

3. श्रावकाचार की रचना कब हुई ?

 
 
 
 

4. .आदिकाल में खड़ी बोली को काव्य की भाषा बनाने वाले प्रथम कवि कौन हैं ?

 
 
 
 

5. नाथों की कुल संख्या कितनी मानी गई है ?

 
 
 
 

6. .चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने साहित्यिक अपभ्रंश को किस नाम से पुकारा है ?

 
 
 
 

7. आदिकाल के काव्यों की प्रधान भाषा थी ?

 
 
 
 

8. आदिकाल के साहित्य में उपेक्षित रहा ?

 
 
 
 

9. .निम्नलिखित कौन सी रचना अपभ्रंश की नहीं है ?

 
 
 
 

10. अमीर खुसरो का मूल नाम क्या था?

 
 
 
 

11. निम्नलिखित में से किसका सम्बन्ध सिद्ध साहित्य से नहीं है?

 
 
 
 

12. राउलवेल किस तरह की रचना है ?

 
 
 
 

13. निम्नलिखित में से कौन कवि आदिकाल से सम्बन्ध नहीं रखता है ?

 
 
 
 

14. इश्क भरा है देख ले और जगत से दूर , एक अचम्भा हमने देखा देहरी का नासूर| अमीर खुसरो की इस पहेली का क्या आशय है ?

 
 
 
 

15. कालक्रम की दृष्टी से निम्नलिखित रचनाकारों का सही क्रम है ?

 
 
 
 

16. आल्हाखंड का दूसरा नाम क्या है ?

 
 
 
 

17. बीसलदेव रासो के लेखक कौन हैं ?

 
 
 
 

18. खुमाण रासो के लेखक कौन है?

 
 
 
 

19. दोहाकोश का संपादन किसने किया है ?

 
 
 
 

20. माधव हम परिनाम निराशा पंक्ति के लेखक कौन हैं ?

 
 
 
 

21. आत्मबोध किसकी रचना है ?

 
 
 
 

22. गोरखनाथ की रचनाओं का संकलन गोरखबानी नाम से किसने किया है ?

 
 
 
 

23. संदेशरासक में किसका चित्रण किया गया है ?

 
 
 
 

24. विद्यापति की कौन सी रचना संपादित होकर अभी तक प्रकाशित नहीं हुई है ?

 
 
 
 

25. सहजयान के प्रवर्तक कौन हैं ?

 
 
 
 

Question 1 of 25

साहित्य के आदिकाल का क्विज-4

“में साहित्य को मनुष्य की दृष्टी से देखने का पक्षपाती हूँ जो वाग्जाल मनुष्य को दुर्गति हीनता से बचा न सके जो उसकी आत्मा को तेजोद्दीप्त न बना सके जो उसके ह्रदय को परदुःखकातर और संवेदनशील न बना सके उसे साहित्य कहने में मुझे संकोच होता है |” आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

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