दुनिया का सबसे अनमोल रतन कहानी प्रेमचन्द की ‘नवाबराय’ के नाम से लिखी गयी प्रथम कहानी है। यह कानपुर की एक उर्दू पत्रिका ‘जमाना’ में वर्ष 1907 में प्रकाशित हुई। यह कहानी सोजेवतन कहानी-संग्रह में संग्रहीत है।
प्रेमचंद का नवाबराय के नाम से उर्दू में पहला कहानी-संग्रह सोजेवतन का प्रकाशन वर्ष 1908 है। प्रेमचंद के सोजेवतन कहानी-संग्रह पर सिडीशन(राजद्रोह) का आरोप लगाकर अंग्रेजों ने जब्त कर लिया था। सोजेवतन में कुल पाँच कहानियाँ संग्रहित हैं-
- इश्के दुनिया व हुब्बे वतन (सांसारिक प्रेम और देश प्रेम)
- दुनिया का सबसे अनमोल रतन
- यही मेरा वतन है
- शेख मखमूर
- सिल-ए-मातम (शोक का पुरस्कार)
दुनिया का सबसे अनमोल रतन कहानी का पात्र-परिचय
मुख्य पात्र
दिलफरेब
- सौंदर्य की देवी
- दिलफिगार जिससे प्रेम करता है।
- मिनोसवाद की मल्लिका ।
- दिलफिगार को दुनिया का सबसे अनमोल रत्न लाने को कहती है।
- अंत में दिलफिगार द्वारा अनमोल रत्न लाने पर कहती है- ‘आज से तू मेरा मालिक है और मैं तेरी लौंडी।’
दिलफिगार :
- दिलफरेब का सच्चा प्रेमी
- दुनिया का सबसे अनमोल रत्न ढूँढ कर लाता है।
गौण पात्र
काला चोर :
- सैकड़ों आदमियों का कातिल, जिसे फाँसी दी जाने से पूर्व उसकी अंतिम इच्छा के रूप में एक बालक से मिलने दिया जाता है।
- पहले अनमोल रत्न के रूप इसी का ‘आँसू’ दिलफिगार लाता है।
बुजुर्ग :
दिलफिगार को पूरब की ओर हिंदुस्तान भेजता है ।
सिपाही :
- हिंदुस्तानी का सच्चा राजपूत सिपाही जो अपने देश के लिये बहादुरी से जान देता है।
- दिलफिगार दुनिया का सबसे अनमोल रत्न उसी सिपाही के आखिरी ‘रक्त का कतरा’ लाता है।
युवती
युवती का मृत पति
दुनिया का सबसे अनमोल रतन कहानी का प्रतिपाद्य
कहानी में एक ऐसे सच्चे प्रेमी का जिक्र है। जो कि अपनी प्रेमिका को अपने रूप रंग से नहीं बल्कि कुछ भी कर गुजरने के जज्बे से अपनी ओर आकर्षित करता है। इस कहानी का मूल कहे तो एक प्रेमी जो कि अपनी प्रेमिका से बेशुमार मुहब्बत करता है और उसे ये जताने के लिए कुछ भी कर सकता है। कहानी उर्दू शब्दाबली से परिपूर्ण है। अरबी-फारसी के शब्द से भी भरा है। कथा को मनोरंजक बनाने के लिए मुहावरे और लोकोक्ति का भी उपयोग दिखाई देता है। यह कहानी देशभक्ति को जागृत करती है। इसी कारण अंग्रेजों ने सोजेवतन में छपी इसकी प्रतिलिपि को जब्त कर लिया था।
रूपवती दिलफरेब और उसके प्रेमी दिलफिगार की इस अलिफ लैला के किस्सेनुमा कहानी में अंत में देशप्रेम और देशभक्ति की भावना उजागर की गई है। इस कहानी में प्रेम के आदर्श स्वरूप एवं पवित्रता का चित्रण किया गया है।मीनोसवाद शहर (इटली) का चित्रण
तीन अनमोल रत्न
- पवित्र आँसू
- सती की चिता की राख
- देश की सेवा में कुर्बान सिपाही के खून का आखिरी कतरा
दुनिया का सबसे अनमोल रतन कहानी का सारांश / कथानक
दिलफिगार ने अपने प्रेम को दिलफरेब के समक्ष प्रस्तुत किया। दिलफरेब ने उसके प्रेम को सिद्ध करने के लिए शर्त रखी। दिलफरेब ने कहा यदि तू मेरा सच्चा प्रेमी है तो जा और दुनिया की सबसे अनमोल चीज लेकर मेरे दरबार में आ तभी तुम्हें अपनी गुलामी में कबूल करूँगी। साथ ही यह भी कहा कि यदि तुम वो अनमोल रतन नहीं ला सके तो इधर भूल से भी मत आना वरना सूली पर चढ़वा दूँगी।
दिलफिगार अब सोच में पड़ गया कि आखिर दुनिया की सबसे अनमोल चीज क्या होगी और वो मिलेगी कहा इसी सोच में वो हैरान-परेशान कई दिनों तक भटकते रहता है। तभी वो भटकते-भटकते एक मैदान में पहुँचा जहाँ बहुत भीड़ जमा थी। वहाँ एक कैदी को फाँसी होने वाली थी जिसने कई मासूमों- बेगुनाहों की जान ली थी। कैदी को उस भीड़ से अनजान एक बच्चे को खेलता देख अपनी बचपन की यादें ताजा हो गयी जब वो भी एक बेगुनाह और निष्कपट था। उन बीते दिनों की यादें उसके आँखों में आँसू बन टपक पड़ी। दिलफिगार ने उस आँसू को अपने हाथों में ले लिया इस सोच के साथ कि एक मरते हुए व्यक्ति की आँसू से अनमोल क्या हो सकता है। वह दिलफरेब के पास जाता है पर मन में संशय भी रहता यदि यह वो अनमोल चीज न हुई तो वह फाँसी पर चढ़वा दिया जायेगा। दिलफरेब ने दिलफिगार की कोशिश की तारीफ की पर कहा कि यह वो अनमोल रत्न नहीं है। उसकी जान बक्श देती है और पुनः कोशिश करने की सलाह देती है कि तुझमें वो जज्बा है और वो सूझ-बूझ भी मुझे यकीन है कि वह तुम्हें मिल जाएगा।
कुछ दिनों बाद दिलफिगार को एक चिता पर एक सोलह श्रृंगार किए एक स्त्री और उसकी गोद में उसके पति का सर है। दोनों चिता में जलकर राख हो गए अपने पति के मरने पर उसकी पत्नी सती हो गयी थी।दिलफिगार ने सोचा कि पत्नी ने अपने पति के प्रेम के लिए खुद भी दुनिया को अलविदा कर दिया। इस सती के चिता की राख ही सबसे अनमोल रत्न है। वह उस राख को लेकर अपनी दिलफरेब के शहर मीनोसबाद(इटली) पहुचा। किन्तु पिछली बार की तरह दिलफरेब ने उसकी कोशिश की तारीफ की और उस तोहफे की भी। पर साथ ही यह भी कहा कि यह दुनिया का सबसे अनमोल रत्न नहीं है।
दिलफिगार बेहद मायूस हुआ और आत्महत्या करने पहाड़ की चोटी पर गया तभी एक बुजुर्ग ने उसे ऐसा करने से रोका। उस वृद्ध ने दिलफिगार की हौसला अफजाई की और कहा कि तू क्या बुझदिलों की हरकत कर रहा है। उसने मुहब्बत की ताकत को उसे बताया। मर्द बन यू मत हार। मजबूत इरादे ही मुहब्बत की मंजिल पर ले जा सकती है। उन्होंने हिन्दुस्तान जाने का मार्ग बताया कि वहाँ जा वही तुझे वो अनमोल रत्न मिलेगा। वह हिन्दुस्तान पहुँचा उसने लड़ाई के मैदान में देखा कई लाशें पड़ी थी। वहाँ एक राजपूत सिपाही जिसमें अभी प्राण बाकी थे जो मृत्युशैय्या पर था। उसने दिलफिगार को अपनी गुलामी की और वतनपरस्ती की बातें बताई। कहा कि गुलामी की जिंदगी से बेहतर मर जाना है। उस सिपाही ने दम तोड़ दिया भारत माता की जय के साथ।
दिलफिगार को उस लहू-लुहान सिपाही के खून के अंतिम कतरे से सुझा की वाकई ये वो अनमोल रत्न है। जो कि एक सच्चे देश भक्त ने देशभक्ति का हक अदा किया। उस खून के कतरे को हाथ में लेकर दिलफिगार अपने वतन दिलफरेब के पास गया। उसने उस राजपूत सिपाही की बहादुरी को बताया और उस खून को दिलफरेब को सौपा। दिलफरेब ने उसे गले से लगाया और कहा आज से तू मेरा मालिक है।
एक रत्नजड़ित मंजूषा मंगवाकर उसमें से एक तख्ती निकाली उसपर लिखा था-
“खून का वह आखरी कतरा जो वतन की हिफाजत में गिरे दुनिया की सबसे अनमोल चीज है।”
इस कहानी में देशप्रेम और देश के लिए कुछ कर गुजरने की चाह को जगाने के लिए। लोगों में देशभक्ति जागृत हो यह इसका उद्देश्य था। देश के लिए अपनी खून बहाने वाले सैनिकों की खून के आगे सभी चीजों को गौण बताया गया है। प्रेमचंद ने गुलामी में जीने से बेहतर मरने का संदेश भी दिया घुट-घुट कर जीने को जीना नहीं कहते ।