आनलाइन शिक्षा की संभावना (online shiksha ki sambhawana) से तात्पर्य हम और हमारा देश इस क्षेत्र में कितनी उपलब्धियां हासिल किया है और कितनी उपलब्धि हासिल करने की जरुरत है | हिंदी निबंध लेखन का यह विषय अत्यंत महत्त्वपूर्ण है | ऑनलाइन शिक्षण को प्रभावी बनाने और विद्यार्थियों के लिए बेहतर परिणाम प्राप्त करने, शिक्षण/अध्ययन को रोचक बनाने, अध्ययन में अभिरुचि बनाए रखने और उपलब्ध समय के साथ अध्ययन का सामंजस्य बनाए रखने की दृष्टि से अत्यन्त उपयोगी एवं सहायक होता है। शिक्षण में ऑनलाइन शिक्षण के द्वारा बेहतर परिणाम की सम्भावनाओं को देखते हुए भारत में भी शिक्षा के क्षेत्र में ई-लर्निंग, लर्निंग पोर्टल एवं ऑनलाइन कक्षाओं को बढ़ावा मिल रहा है।
कोविड-19 से पूर्व केपीएमजी एवं गूगल द्वारा किए गए अध्ययन में वर्ष 2016 में भारत में ऑनलाइन शिक्षा का बाजार 24-70 करोड़ डॉलर (₹ 1870 करोड़) होने और 16,00,000 उपयोगकर्ता होने का अनुमान लगाया था, जिसके 2021 में 1.6 अरब डॉलर और 96 लाख उपयोगकर्ता हो जाने की सम्भावनाएं व्यक्त की गई थीं, लेकिन कोविड-19 के दौर में जिस तीव्रता से ऑन लाइन शिक्षण की आवश्यकता महसूस की गई और इससे जिस तेजी से ऑनलाइन शिक्षण को बढ़ावा मिला, उससे इस बात की पूरी सम्भावना है कि निश्चय ही यह अनुमान और भी पहले पूरा हो जाएगा।
इसी प्रकार रिसर्च एण्ड मार्केट्स द्वारा जारी की गई रिपोर्ट बताती है कि 2018 में भारत में ऑनलाइन शिक्षा बाजार का मूल्य ₹ 39 बिलियन था, जिसके 2024 तक ₹360.3 बिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है. सीखने में आसानी लचीलेपन और अध्ययन सामग्री की विस्तृत श्रृंखला ने भी भारत में ऑनलाइन शिक्षा बाजार के समग्र विकास को प्रभावित किया है।
ई-लर्निंग, ऑनलाइन लर्निंग और सूचना तकनीक के अधिक-से-अधिक इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी प्रतिबद्ध दिखाई देती है. स्वयं (SWAYAM) पोर्टल लॉकडाउन के इस दौर में तेजी से लोकप्रिय हुआ है, जहाँ 26,00,000 शिक्षार्थियों के अलावा 574 पाठ्यक्रम पहले से ही नामांकित हैं स्वयंप्रभा (SWAYAMPRABHA) समूह के डीटीएच टीवी चैनलों को लोगों द्वारा देखा जा रहा है डिजिटल लाइब्रेरी जिसे लॉकडाउन से पूर्व तक 22,000 लोग प्रतिदिन देख रहे थे. लॉकडाउन के दौरान इनकी संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है और लॉकडाउन अवधि में राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी को प्रतिदिन 1,60,000 बार एक्सिस किया गया ऑनलाइन क्लास रूम, जूम मीटिंग एप, गो टू मीट, हैंग आउट, स्काइप, गूगलमीट जैसे प्लेटफॉर्म ऑनलाइन अवधि में तेजी से प्रयोग में आने लगे हैं।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म जैसे स्वयं दीक्षा. ई-बस्ता, नेशनल रिपॉजिटरी ऑफ ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेज, शोध गंगा, विद्वान्, ई-पीजी पाठशाला, एमओओसी (Massive Open Online Courses) आदि इस कोरोना काल में अत्यन्त उपयोगी साबित हुए हैं तथा इनके प्रयोग में भी लगातार वृद्धि के साथ-साथ विद्यार्थियों का ई-लर्निंग, ऑनलाइन लर्निंग, एजुकेशनल पोर्टल, डिजिटल लाइब्रेरी आदि के प्रति जिज्ञासा, लगाव और प्रयोग तेजी से बढ़ा है. भारत में ऑनलाइन शिक्षा के बाजार की सम्भावनाओं को देखते हुए ही Byju’s, Doubtnut, Up Grad, Test Book, Toppr. Unacademy, Vedantu जैसी बड़ी कम्पनियाँ भारतीय ऑनलाइन शिक्षा के बाजार में न सिर्फ कूद पड़ी हैं, बल्कि दिनों-दिन सफल भी हो रही हैं।
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी, 21वीं शताब्दी ज्ञान, तकनीक एवं नवाचार की है. इसने शिक्षा-व्यवस्था में ये नवाचार के प्रयोग ऑनलाइन जैसे शिक्षण माध्यमों को आवश्यक बना दिया है. इसलिए शोध, अनुसन्धान तकनीक एवं विज्ञान के क्षेत्र में विशेष उपलब्धि हासिल करनी है और अपनी शिक्षा संस्थानों को विश्व में अग्रणी स्थान पर ले जाना है, तो शिक्षा के क्षेत्र में विशेष नवाचार के प्रयोग एवं ऑनलाइन शिक्षा को हमें अधिक से अधिक बढ़ावा देना होगा।
कोविड-19 वैश्विक महामारी जनित लॉकडाउन से भारत सहित सारे विश्व की शिक्षा प्रणाली प्रभावित हुई है. मार्च 2020 से भारत एवं अन्य अनेक देशों में प्राथमिक विद्यालयों से लेकर विश्वविद्यालय तक बन्द रहे, जिसका असर विभिन्न क्षेत्रों के साथ साथ शिक्षा व्यवस्था पर भी पड़ा है. इस प्रकार वर्तमान हालात में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से नवीन सूचना तकनीकी के उपयोग द्वारा ई-लर्निंग एवं ऑनलाइन माध्यम पर निर्भर होकर रह गई है, कोरोना सकट ने शिक्षा व्यवस्था में ऑनलाइन माध्यमों के महत्व को भली-भाँति रेखांकित किया है। शिक्षकों की भूमिका में आमूल परिवर्तन हुआ है और सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों एवं विद्वान् शिक्षकों के बीच की दूरियाँ कम हुई हैं तथा शिक्षा तक उनकी पहुँच भी आसान हुई है. ई-लर्निंग एवं ऑनलाइन शिक्षण के माध्यम से विद्यार्थियों के लिए लॉकडाउन जैसी परिस्थितियों में भी अपना अध्ययन अनवरत रूप से जारी रखना सम्भव हुआ है।