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आदिकाल के महत्त्वपूर्ण कथन
आदिकाल के महत्त्वपूर्ण कथन, परिक्षोपयोगी आदिकाल के कथन, हिंदी साहित्य के आदिकाल निम्नलिखित कथन प्रायः प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं।
➡️ जो जिण सासण भाषियउ सो भइ कहियड सारु ।
जो पालइ सइ भाउ करि सो सरि पावइ पारु ॥ – देवसेन (श्रावकाचार)
➡️ पंडिअ सअल सत्त बक्खाणइ । देहहि रुद्ध बसंत न जाणइ ।
अमणागमण ण तेन विखंडिअ तो वि णिलज्जइ भणइ हउँ पंडिय॥ –सरहपा
➡️जहि मन पवन न संचरइ, रवि ससि नाहि पवेश ।
तहि वत चित्त विसाम करु, सरेहे कहिअ उवेश ॥ –सरहपा
➡️“घोर अधारे चंदमणि जिमि उज्जोअ करेइ ।
परम महासुह एषु कणे दुरिअ अशेष हरेइ ॥” – सरहपा
➡️‘काआ तरुवर पंच विडाल‘ – लूइपा
➡️“भाव न होइ, अभाव ण जाइ” – लूइपा
➡️“सहजे थर करि वारुणी साध“– विरुपा
➡️“एक्क ण किज्जइ मंत्र ण तंत“. कण्हपा
➡️“हालो डोंबी! तो पुछमि सदभावे
सदगुरु पाअ पए जाइब पुणु जिणउरा“. –कण्हपा
➡️“भल्ला हुआ जो मारिया“- हेमचन्द्र
➡️“पिय संगमि कउ निद्दड़ी” – हेमचन्द्र
➡️“गंगा जउँना माझे बहइ रे नाई” – डोम्भिपा
➡️“नगर बाहिरे डोंबी तोहरि कुडिया छइ ।“
“छोइ जाइ सो बाह्य नाड़िया ॥” – कण्हपा
➡️“जिमि लोण बिलिज्जइ पाणि एहि तिमि धरणी लइ चित्त“- कण्हपा
➡️मनहु कला ससभान कला सोलह सो बन्निय।
विगसि कमलस्त्रिग, भ्रमर, बेनू, खंजन मृग लुट्टिय।। “पृथ्वीराज रासो से”
➡️“बज्जिय घोर निसान रान चौहान चहौं दिस।” पृथ्वीराज रासो से
➡️“उट्टि राज प्रिथिराज बाग मनो लग्ग वीर नट” पृथ्वीराज रासो से
➡️“बारह बरिस लै कूकर जीऐं औ तेरह लौ जिऐं सियार ।
बरिस अठारह छत्री जीऐं, आगे जीवन को धिक्कार ॥” – जगनिक
➡️“गोरी सोवै सेज पर, मुख पर डारै केस“- अमीर खुसरो
➡️“मेरा जोबना नवेलरा भयो है गुलाल” – अमीर खुसरो
➡️“जे हाल मिसकी मकुन तगाफुल दुराय नैना, बनाय बतियाँ“- अमीर खुसरो
➡️“कालि कहल पिय साँझहिरे, जाइब मइ मारू देस” –विद्यापति ( पदावली से)
विद्यापति की कीर्तिलता से महत्त्वपूर्ण कथन
➡️“देसिल बअना सब जन मिट्ठा। तें तैं सन जंपओ अवहट्ठा॥”
➡️“रज्ज लुद्ध असलान बुद्धि बिक्कम बले हारल
पास बइसि बिसवासि राय गयनेसर मारल ॥“
➡️“मारंत राय रणरोल पडु, मेइनि हा हा सद्द हुआ।
सुरराय नयर नरअर–रमणि बाम नयन पप्फुरिअ धुअ ॥“
➡️“कतहुँ तुरुक बरकर। बार जाए ते बेगार धर ॥
धरि आनय बाभन बरुआ। मथा चढाव इ गाय का चरुआ ॥
हिन्दू बोले दूरहि निकार। छोटउ तुरुका भभकी मार ॥”
➡️“जइ सुरसा होसइ मम भाषा। जो जो बुन्झिहिसो करिहि पसंसा ॥“
➡️“जाति अजाति विवाह अधम उत्तम का पारक।”
➡️“पुरुष कहाणी हौं कहौं जसु पंत्थावै पुत्रु।“
➡️“बालचंद विज्जावहू भाषा। दुहु नहि लग्गइ दुज्जन हासा ॥“
विद्यापति की पदांवली से महत्त्वपूर्ण कथन
➡️“खने खने नयन कोन अनुसरई। खने खने वसत धूलि तनु भरई ॥“
➡️ “सुधामुख के विहि निरमल बाला अपरूप रूप मनोभव–मंगल, त्रिभुवन विजयी माला ॥“
➡️ “सरस बसंत समय भला पावलि दछिन पवन वह धीरे, सपनहु रूप बचन इक भाषिय मुख से दूरि करु चीरे ॥“
अमीर खुसरो के महत्वपूर्ण कथन निम्नलिखित हैं–
➡️ च मन तूतिए – हिन्दुम, अर रास्त पुर्सी।
जे मन हिन्दुई पुर्स, ता नाज गोयम ॥
अर्थात् ‘मैं हिन्दुस्तान की तूती हूँ, अगर तुम वास्तव में मुझसे कुछ पूछना चाहते हो तो हिन्दवी में पूछो जिसमें कि मैं कुछ अद्भुत बातें बतासकूँ ।“
आमिर खुसरो की पहेलियाँ
➡️“एक थाल मोती से भरा। सबके सिर पर औंधा धरा ॥
चारों ओर वह धाली फिरे। मोती उससे एक न गिरे॥” (आकाश)
➡️“एक नार ने अचरज किया। साँप मारि पिंजड़े में दिया ॥
जों जों सांप ताल को खाए। सूखे ताल साँप मर जाए ॥“ (दिया बत्ती)
➡️ “एक नार दो को ले बैठी। टेढी होके बिल में पैठी ॥
जिसके बैठे उसे सुहाय। खुसरो उसके बल बल जाय ॥” (पायजामा)
➡️ “अरथ ते इसका बूझेगा। मुँह देखो तो सूझेगा ॥” (दर्पण)
अमीर खुसरो के ब्रजभाषा के रूप
➡️ “चूक भई कुछ बासों ऐसी | देस छोड़ भयो परदेसी ॥ “
➡️ “एक नार पिया को भानी । तन वाको सरगा ज्यों पानी ॥”
➡️ “चाम मास वाके नहिं नेक । हाड़ हाड़ में वाके छेद ॥
मोहि अचंभों आवत ऐसे । वामें जीव बसत है कैसे ॥“
अमीर खुसरो के दोहे और गीत
➡️“उज्जल बरन, अधीन तन, एक चित्त दो ध्यान।
देखत में तो साधु है, निपट पाप की खान।”
➡️“खुसरो रैन सुहाग की जागी पी के संग ।
तन मेरो मन पीउ को, दोउ भए एक रंग ।”
➡️‘गोरी सोवै सेज पर, मुख पर डारै केस ।
चल खुसरो घर आपने, रैन भई चहु देस।”
➡️“मोरा जोबना नवेलरा भयो है गुलाल।
कैसे गर दीनी कस मोरी सूनी सेज डरावन लागै,
विरहा अगिन मोहि डस डस जाय ।”
➡️“जे हाल मिसकी मकुन तगाफुल दुराय नैना, बनाय बतियाँ ।
किताबे हिज्राँ न दारम, ऐ जाँ! न लेहु काहे लगाय छतियाँ ॥“
गोरखनाथ के महत्त्वपूर्ण कथन
➡️“नौ लख पातरि आगे नाचैं, पीछे सहज अखाड़ा।
ऐसे मन लौ जोगी खेलै, तब अंतरि बसै भंडारा॥”
➡️“अंजन मांहि निरंजन भेढ्या, तिल मुख भेट्या तेलं ।
मूरति मांहि अमूरति परस्या भया निरंतरि खेलं ॥”
➡️“नाथ बोलै अमृतवाणी । बरिषैगी कवली पांणी ॥
गाड़ि पडरवा वांधिलै खूँटा । चलै दमामा वजिले ऊँटा ॥“
➡️“गुर कीजै महिला निगुरा न रहिला, गुरु बिन ग्यानं न पायला रे भाईला।”
➡️“अवधू रहिया हाटे बाटे रूष विरष की छाया ।
तजिबा काम क्रोध लोभ मोह संसार की माया ॥“
➡️“स्वामी तुम्हई गुरु गोसाई । अम्हे जो शिव सबद एक बूझिबा ॥
निरारंबे चेला कूण विधि रहै। सतगुरु होइ स पुछया कहै॥ ”
➡️“अभि–अन्तर की त्यागै माया“
➡️“दुबध्या मेटि सहज में रहें “
➡️“जोइ–जोइ पिण्डे सोई–ब्रह्माण्डे“
➡️“अवधू मन चंगा तो कठौती में गंगा“
कूक्किरपा के कथन
➡️“हाउनिवासी खमण भतारे, मोहारे बिगोआकहण न
➡️“ससुरी निंद गेल, बहुड़ी जागअ “
पृथ्वीराज रासो से महात्वपूर्ण कथन
➡️“राजनीति पाइयै । ग्यान पाइयै सु जानिय ॥
उकति जुगति पाइयै । अरथ घटि बढ़ि उनमानिया ॥“
➡️“उक्ति धर्म विशालस्य । राजनीति नवरसं ॥
खट भाषा पुराणं च । कुरानं कथितं मया ॥ “
➡️“कुट्टिल केस सुदेस पोह परिचिटात पिक्क सद।
कमलगंध बटासंध हंसगति चलित मंद मंद ॥ “
➡️“रघुनाथ चरित हनुमंत कृत, भूप भोज उद्धरिय जिमि ।
पृथ्वीराज सुजस कवि चंद कृत, चंद नंद उद्धरिय तिमि ॥“
बेहतरीन