गद्यगीत या गद्यकाव्य के प्रवर्तक राय कृष्णदास हैं । इसकी शुरुआत छायावाद युग से मानी जाती है । राय कृष्णदास ने गीतों को लयबद्ध तरीकेसे गद्यात्मक रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है । गद्यकाव्य की प्रमुख रचनाएँ व तथ्य , gadykavy ki pramukh rachanayein
गद्यकाव्य के प्रमुख तथ्य
→ रायकृष्णदास को हिन्दी का प्रथम गद्य काव्यकार माना जाता है।
→ हिंदी का प्रथम गद्यकाव्य रायकृष्णदास द्वारा लिखित साधना है ।
→ हिन्दी में गद्य काव्य लेखन की प्रेरणा रवीन्द्रनाथ के ‘गीतांजलि’ के हिन्दी अनुवाद से मिली।
हिंदी के प्रमुख गद्यकाव्य व उसके लेखक
⇒ रायकृष्ण दास – (1) साधना (1916), (2) संलाप (1925), (3) छाया पथ (1929), (4) प्रवाल (1929), (5) प्रवाह (1931)।
⇒ वियोगी हरि – (1) तरंगिणी (1919), (2) अन्तर्नाद (1926), (3) प्रार्थना (1929), (4) भावना (1932), (5) श्रद्धोकण (1949)।
⇒ चतुरसेन शास्त्री – (1) अन्तस्तल (1921), (2) तरलाग्नि (1936), (3) मरी खयाल की हाय (1939), (4) जवाहर
⇒ सद्गुरूशरण अवस्थी – भ्रमित पथिक (1927)
⇒ वृन्दावनलाल वर्मा – हृदय की हिलोर (1928)
⇒ लक्ष्मीनारायण ‘सुधांशु’ – वियोग (1932)
⇒ अज्ञेय – (1) भग्नदूत (1933), (2) चिन्ता (1942) ।
⇒ डॉ० रामकुमार वर्मा – हिमहास (1935)
⇒ शान्तिप्रसाद वर्मा – चित्रपट (1932)
⇒ तेजनारायण काक – (1) मदिरा (1935), (2) निर्झर और पाषाण (1943) I
⇒ दिनेशनंदिनी डालमियाँ – (1) शबनम (1937), (2) मौक्तिमाल (1938), (3) शारदीया (1939), (4) दुपहरिया के फूल (1942), (5) वंशीरव(1945), (6) उन्मन (1945), (7) स्पन्दन (1949)।
⇒ रामप्रसाद विद्यार्थी ‘रावी’ – (1) पूजा (1937), (2) शुभ्रा (1942)।
⇒ भँवरलाल सिंधी – वेदना (1937)
⇒ राजनारायण मेहरोत्रा ‘रजनीश’ – आराधना (1939)
⇒ डॉ० रघुवीर सिंह – (1) शेष स्मृतियाँ (1936), (2) जीवनधूलि (1951)
⇒ परमेश्वरीलाल गुप्त – बंदी की कल्पना (1941)
⇒ माखनलाल चतुर्वेद – साहित्य देवता (1943 )
⇒ ब्रह्मदेव – (1) निशीथ (1945), (2) आँसू भरी धरती (1948), (3) उदीची (1956), (4) अन्तरिक्ष (1969) I
⇒ व्योहार राजेन्द्र सिंह – मौन के स्वर (1951)
⇒ रंगनाथ दिवाकर – अंतरात्मा से (1951)
⇒ महावीरशरण अग्रवाल – गुरुदेव (1953)
⇒ ठाकुर रामआधार सिंह – लहर पंथी (1956)
⇒ रामधारी सिंह ‘दिनकर‘ – उजली आग (1956)
⇒ कान्ति त्रिपाठी – जीवनदीप (1965)
⇒ माधवप्रसाद पाण्डेय – (1) छितवन के फूल (1974), (2) मधुनीर (1985), (3) स्वर्णनीरा (2000), (4) पराती सँझवाती (2002), (5) रूपगीत(2000), (6) सृजन पूजा (2000)।
⇒ प्रो० जितेन्द्र सूद – पतझड़ की पीड़ा (1996)
⇒ अशोक वाजपेयी – कहीं नहीं वहीं (1990)
⇒ राजेन्द्र अवस्थी – काल चिन्तन
गद्यकाव्य किसे कहते हैं
गद्य को काव्य के रूप में प्रस्तुत करने वाली विधा को गद्यकाव्य कहते हैं | इसमें गद्य को लयात्मकता प्रदान किया जाता है | गद्यकाव्य हिंदी साहित्य की आधुनिक विधा है | गद्यकाव्य में भावों को इस प्रकार व्यक्त किया जाता है कि वह काव्य के निकट पहुँच जाता है | रामकुमार वर्मा अपनी रचना ‘शबनम’ की भूमिका में गद्यकाव्य पर विचार व्यक्त करते हुए कहा है कि
“गद्यगीत साहित्य की भावनात्मक अभिव्यक्ति है इसमें कल्पना और अनुभूति काव्य उपकरणों से स्वतंत्र होकर मानव जीवन के रहस्यों को स्पष्ट करने के लिए उपयुक्त और कोमल वाक्यों की धारा में प्रवाहित होती है |”
गद्य काव्य का विकास, गद्यकाव्य का उद्भव,