हिंदी साहित्य में संस्मरण विधा का प्रारंभ द्विवेदी युग से माना जाता है। रेखाचित्र और संस्मरण में नाममात्र का अंतर है। संस्मरण शब्द स्मृ धातु सेसम् उपसर्ग और ल्यूट प्रत्यय लगने से बना है इस प्रकार संस्मरण का शाब्दिक अर्थ सम्यक् स्मरण होता है। प्रमुख संस्मरण व उसके लेखक, विशेषता, परिभाषा hindi sahity sansmaran vidha aur uske lekhak
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संस्मरण क्या है
संस्मरण हिंदी साहित्य की एक विधा है इसमें लेखक अपने व्यक्तिगत अनुभव को भावप्रवणता के साथ इस प्रकार प्रस्तुत करता है कि उसकाएक चित्र बन जाता है ।
संस्मरण की परिभाषा
डॉ. गोविंद त्रिगुणायत के अनुसार संस्मरण की परिभाषा इस प्रकार है –
“भावुक कलाकार जब अतीत की अनंत स्मृतियों में कुछ रमणीय अनुभूतियों को अपनी कोमल कल्पना से अनुरंजित कर व्यंजनामूलक संकेतशैली में अपने व्यक्तित्व की विशेषताओं से रंग कर रोचक ढंग से यथार्थ में व्यक्त कर देता है, तब उसे संस्मरण कह सकते हैं।”
संस्मरण की विशेषता
1- संस्मरण में भावप्रवणता होनी चाहिए।
2- संस्मरण में चित्रोपमता होनी चाहिए।
3- संस्मरण में व्यक्तिकता होनी चाहिए।
4- संस्मरण में जीवन के खंड विशेष का वर्णन होना चाहिए।
5- संस्मरण में सत्यात्मकता होनी चाहिए।
हिन्दी के प्रथम संस्मरणकार पद्मसिंह शर्मा हैं। इनकी प्रमुख रचना ‘पद्म पराग’ सन् 1929 ई० में प्रकाशित हुई।
हिन्दी में लिखे गए प्रमुख संस्मरण व उसके लेखक
⇒ पद्मसिंह शर्मा – (1) पद्म पराग (1929), (2) प्रबन्ध मंजरी
⇒ श्री राम शर्मा – (1) शिकार (1936), (2) प्राणों का सौदा, (3) जंगल के जीव (1949), (4) वे जीते कैसे हैं (1957), सन् बयालीस के संस्मरण
⇒ मन्मथनाथ गुप्त – क्रान्तियुग के संस्मरण (1937)
⇒ शिवनारायण टण्डन – झलक (1938)
⇒ घनश्यामदास बिड़ला – बापू (1940)
⇒ रामनरेश त्रिपाठी- तीस दिन मालवीयजी के साथ (1942)
⇒ बनारसीदास चतुर्वेदी (1) हमारे आराध्य (1952), (2) संस्मरण (1952)
⇒ राधिकारमण प्रसाद सिंह – टूटा तारा (1940)
⇒ महादेवी वर्मा-पथ के साथी (1956)
⇒ जैनेंद्र कुमार – ये और वे
⇒ रामवृक्ष बेनिपुरी – ज़ंजीरे और दीवारें
⇒ राहुल सांकृत्यायन—(1) बचपन की स्मृतियाँ (1955), (2) जिनका मैं कृतज्ञ (1957) मेरे असहयोग के साथी (1956)
⇒ सत्यजीवन वर्मा ‘भारतीय’ – एलबम (1949)।
⇒ ओंकार शरद – लंका महाराजिन (1950)।
⇒ कैलाशनाथ काटजू — मैं भूल नहीं सकता (1955)।
⇒ उपेन्द्रनाथ अश्क – (1) मण्टो मेरा दुश्मन (1956), (2) ज्यादा अपनी कम परायी (1959)।
⇒ सेठ गोविन्ददास – स्मृतिकण (1959)।
⇒ इन्द्र विद्यावाचस्पति — मैं इनका ऋणी हूँ (1959)।
⇒ विनोदशंकर व्यास – प्रसाद और उनके समकालीन (1960)।
⇒ हरिवंश राय बच्चन – नये पुरोन झरोखे (1962)।
⇒ सम्पूर्णानन्द – कुछ स्मृतियाँ और स्फुट विचार (1962)।
⇒ विष्णु प्रभाकर – (1) जाने-अनजाने (1962), (2) यादों की तीर्थयात्रा (1981), (3) मेरे अग्रज मेरे मीत, (4) समान्तर रेखाएँ, (5) हम इनके ऋणी हैं, (6) एक दिशाहीन सफर, (7) साहित्य के स्वप्न पुरुष, (8) राह चलते-चलते, (9) हमारे पथ प्रदर्शक, (10) हमसफर मिलते हैं, (11) सृजन के सेतु, (12) आकाश एक है, (13) यादों की छाँव में।
⇒ शिवूजपन सहाय—वे दिन वे लोग (1946)।
⇒ शान्तिप्रिय द्विवेदी – स्मृतियाँ और कृतियाँ (1966)।
⇒ रामधारी सिंह ‘दिनकर’ – (1) लोक देव नेहरू (1965), (2) स्मरण और श्रद्धांजलियाँ (1969)।
⇒ कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ – जिन्दगी मुस्काई (1953 ई०) ।
⇒ प्रकाशचन्द्र गुप्त – पुरानी स्मृतियाँ (1947 ई०) ।
⇒ काका कालेलकर – गाँधी: संस्मरण और विचार (1968)।
⇒ लक्ष्मीनारायण ‘सुधांशु’ – व्यक्तित्व की झाँकियाँ (1970)।
⇒ पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी – अन्तिम अध्याय (1972)।
⇒ लक्ष्मीशंकर व्यास – स्मृति की त्रिवेणिका (1974)।
⇒ अनीता राकेश- चंद सतरें और (1975)।
⇒ परिपूर्णानन्द — बीती यादें (1976)।
⇒ कमलेश्वर — मेरे हमदम मेरे दोस्त (1975)।
⇒ क्षेमचन्द्र सुमन – रेखाएँ और संस्मरण (1975)।
⇒ रामनाथ सुमन – मैंने स्मृति के दीप जलाएँ (1976)।
⇒ विष्णुकांत शास्त्री – (1) स्मरण को पाथेय बनने दो (1978), (2) सुधियाँ उस चंदन के वन की (1992), (3) पर साथ साथ चल रही याद (2004)।
⇒ शंकरदयाल सिंह — कुछ ख्वाबों कुछ ख्यालों में (1978)।
⇒ भगवतीचरण वर्मा – (1) अतीत के गर्त से (1979), (2) हम खण्डहर के वासी ।
⇒ सुलोचना रांगेय राघव – पुनः (1979)।
⇒ मैथिलीशरण गुप्त – श्रद्धांजलि स्मरण (1979)।
⇒ कुँवर सुरेश सिंह – यादों के झरोखें (1980)।
⇒ प्रतिभा अग्रवाल – सृजन का सुख दुःख (1981)।
⇒ राजेन्द्र यादव – (1) औरों के बहाने (1981), (2) वे देवता नहीं हैं (2000)।
⇒ अमृतलाल नागर – जिनके साथ जिया (1981)।
⇒ रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’ – युग पुरुष (1983)।
⇒ पद्मा सचदेवा – (1) दीवानखाना (1984), (2) मितवाघर (1995), (3) अमराई, (2000)।
⇒ अज्ञेय – स्मृति लेखा (1986)।
⇒ कमलकिशोर गोयनका – हजारी प्रसाद द्विवेदी : कुछ संस्मरण (1988)।
⇒ बिन्दु अग्रवाल – (1) भारतभूषण अग्रवाल : कुछ यादें कुछ चर्चाएँ (1989), (2) यादें और बातें (1998)।
⇒ काशीनाथ सिंह – (1) याद हो के न याद हो (1992), (2) आछे दिन पाछ भये (2004), (3) घर का जोगी जोगड़ा (2006)।
⇒ अजित कुमार – (1) निकट मन में (1992), (2) निकट मन में दूर वन में (2012) I
⇒ प्रकाशवती पाल – (1) लाहौर से लखनऊ तक (1994)।
⇒ गिरिराज किशोर – (1) सप्तपर्णी (1994)।
⇒ दूधनाथ सिंह – (1) लौट आओ धार (1995), (2) एक शमशेर भी है (2012)
⇒ रामदरश मिश्र – (1) स्मृतियों का छंद (1995), (2) अपने अपने रास्ते (2001) I
⇒ प्रफुल्लचंद ओझा – अतीत जीवी (1995)।
⇒ रवीन्द्र कालिया – सृजन के सहयात्री (1996)।
⇒ विष्णुचन्द्र शर्मा – अभिन्न (1996)।
⇒ कृष्णा सोबती – ( 1 ) हमहशमत (भाग-2), (2) हमहशमत (भाग-3), (3) शब्दों के आलोक में, (4) सोबती एक सोहबत ।
⇒ रामनाथ अवस्थी – याद बाते हैं (2000)।
⇒ मनोहर किशोर दीवान – नेपथ्य नायक लक्ष्मीचन्द्र जैन (2000)।
⇒ देवेन्द्र सत्यार्थी – यादों के काफिले (2000)।
⇒ पुरुषोत्तमदास मोदी – अंतरंग संस्मरणों में प्रसाद (2001)।
⇒ विश्वनाथप्रसाद तिवारी – एक नाव के यात्री (2001)।
⇒ विद्यानिवास मिश्र – चिड़िया रैन बसेरा (2002)।
⇒ मनोहर श्याम जोशी – (1) लखनऊ मेरा लखनऊ (2002), (2) रघुवीर सहाय : रचनाओं के बहाने एक संस्मरण (2003), (3) बातों बातों में।
⇒ कांतिकुमार जैन– (1) लौट आना नहीं होगा (2002), (2) तुम्हारा परसाई (2004), (3) जो कहूँगा सच कहूँगा (2006), (4) अब तो बात फैल गई(2007)।
⇒ कृष्णबिहारी मिश्र – नेह के नाते अनेक (2002)
⇒ रामकमल राय – स्मृतियों का शुक्ल पक्ष (2002)
⇒ डॉ० विवेकी राय-(1) आँगन के वंदनवार (2003), (2) मेरे सुहृदय श्रद्धेय (2005) I
⇒ लक्ष्मीधर मालवीय – लाई हयात आए (2004)
⇒ विश्वनाथ त्रिपाठी – (1) नंगा तलाई का गाँव (2004), (2) व्योमकेश (2010), (3) गंगा स्नान करने चलोगे (2012)।
⇒ केशवचन्द्र वर्मा – सुमिरन के बहाने (2005)
⇒ अमरकांत – कुछ यादें : कुछ बातें
⇒ नवनीता देव सेन – किस पथ आए तुम्हारी करुणा
⇒ हर्ष मन्दर – अनसुनी आवाजें ज्ञानचन्द्र जैन — कथाशेष
⇒ सुमन केसरी – जे० एन०यू० में नामवर सिंह
⇒ जाबिर हुसेन – (1) लोंगा, (2) जो आगे हैं, (3) अतीत का चेहरा, (4) डोला बीवी का मजार
⇒ गोविन्द प्रसाद – आलाप और अंतरंग
⇒ गौरापंत शिवानी – (1) वातायन
⇒ फणीश्वरनाथ रेणु – (1) बन तुलसी की गंध, (2) समय की शिला पर ।
⇒ धर्मवीर भारती – ठेले पर हिमालय
⇒ नीलाभ अश्क – ज्ञानरंजन के बहाने (2012)