भक्तिकाल की ज्ञानाश्रयी शाखा के महत्त्वपूर्ण कथन

भक्तिकाल की ज्ञानाश्रयी शाखा के कथन में संत कवियों की अति महत्त्वपूर्ण पंक्तिया या उक्तियां दी गई हैं | इस पोस्ट में भक्तिकालीन जो पंक्तियाँ दी गई हैं वह आगामी परीक्षा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं | कबीरदास के कथन (1) “झिलमिल झगरा झूलत बाकी रही न काहु । गोरख अटके कालपुर कौन कहावै साहु … Read more

भक्तिकाल की ज्ञानाश्रयी शाखा

भक्तिकाल की ज्ञानाश्रयी शाखा निर्गुण धारा के अंतर्गत आती है | शुक्लजी ने भक्तिकाल को संत, सूफी, निर्गुण और सगुण आदि में विभाजित किया है। इन्होंने प्रकरण तीन में ज्ञानाश्रयी साखा के आठ संतों को महत्त्व दिया है। योग साधना से प्रभावित संत कबीरदास, सुंदरदास, हरिदास निरंजनी योग साधना से अप्रभावित संत  रैदास, दादू दयाल, गुरु … Read more

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