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समास का नियम, अर्थ, परिभाषा, भेद, उदाहरण
समास का शाब्दिक अर्थ होता है संक्षिप्त या संक्षेप | समास का विस्तृत अर्थ होता है ‘जहाँ पर दो या दो से अधिक शब्दों को संक्षिप्त किया जाता है वहाँ समास होता है’ |
जिसका विग्रह किया जाता है उसे समस्त पद और जिस प्रक्रिया या नियम से विग्रह किया जाता है उसे समास कहते हैं |
समास की परिभाषा
समास की परिभाषा कामताप्रसाद गुरु ने इस प्रकार दी है- “दो या अधिक शब्दों (पदों) का परस्पर संबंध बताने वाले शब्दों अथवा प्रत्ययों का लोप होने पर उन दो या अधिक शब्दों से जो एक स्वतंत्र शब्द बनता है, उस शब्द को सामासिक शब्द कहते हैं और उन दो या अधिक शब्दों का जो संयोग होता है, वह समास कहलाता है |”
संधि और समास में अंतर
संधि और समास का अंतर इस प्रकार है-
1- समास में दो पदों का योग होता है, किन्तु संधि में दो वर्णों का |
2- संधि के अलग करने को विच्छेद कहते हैं जबकि समास के अलग करने को विग्रह कहते हैं | जैसे- गृहागत में दो पद हैं गृह और आगत संधि-विच्छेद होगा गृह+आगत जबकि समास विग्रह होगा गृह को आगत |
3- संधि के लिए दो वर्णों के मेल या विकार की गुंजाइश रहती है जबकि समास को इस मेल या विकार से कोई मतलब नहीं होता |
समास के भेद / प्रकार
समास के मुख्य भेद चार माने जाते हैं जिसमे १- अव्ययीभाव समास २- तत्पुरुष समास ३- बहुव्रीहि समास ४- द्वंद्व समास | कुछ विद्ववान इन भेदों के अतिरिक्त समास के दो और भेद (१- कर्मधारय समास २- द्विगु समास) मानते हैं इस प्रकार समास के कुल भेद छह हो जाते हैं | अधिकतर विद्वान् कर्मधारय और द्विगु समास को तत्पुरुष समास का ही एक भेद मानते हैं |
अव्ययीभाव समास की पहचान, परिभाषा, उदाहरण
अव्ययीभाव समास में अव्ययीभाव का शाब्दिक अर्थ होता होता है ‘जो अव्यय नहीं था उसका अव्यय हो जाना’| जिसमें पूर्वपद की प्रधानता हो उसमें अव्ययीभाव समास होता है | इस समास में समूचा पद क्रियाविशेषण अव्यय हो जाता है | इसमें पहला पद उपसर्ग आदि जाति का अव्यय होता है और वही प्रधान होता है |
अव्ययीभाव समास के उदाहरण
अव्ययीभाव समास के उदाहरण |
|
समस्त पद | विग्रह |
यथाशक्ति | शक्ति के अनुसार |
यथामति | मति के अनुसार |
दिनानुदिन | दिन के बाद दिन |
प्रत्येक | एक-एक |
प्रत्यंग | अंग-अंग |
मनमाना | मन के अनुसार |
भरपेट | पेट भरकर |
यथाशीघ्र | जितना शीघ्र हो |
निर्भय | बिना भय का |
बेलाग | बिना लाग का |
उपकूल | कूल के समीप |
अपादमस्तक | पाद से मस्तक तक |
यथार्थ | अर्थ के अनुसार |
बेरहम | बिना रहम के |
बेखटके | बिना खटके के |
बेफायदा | बिना फायदे के |
परोक्ष | अक्षि के परे |
प्रत्युपकार | उपकार के प्रति |
बखूबी | खूबी के साथ |
निधड़क | बिना धड़क के |
समक्ष | अक्षि के सामने |
प्रत्यक्ष | अक्षि या आँख के सामने |
आमरण | मरण तक |
यथोचित | जो उचित हो |
आजीवन | जीवनभर या जीवन पर्यन्त |
हाथो हाथ | हाथ ही हाथ में |
बीचोबीच | बिच ही बिच में |
रातोरात | रात ही रात में |
हितार्थ | हित के लिए |
दानार्थ | दान के लिए |
दर्शनार्थ | दर्शन के लिए |
निर्देशानुसार | निर्देश के अनुसार |
नियमानुसार | नियम के अनुसार |
इच्छानुसार | इच्छा के अनुसार |
विवाहोपरांत | विवाह के उपरांत |
मरणोपरांत | मृत्यु के उपरांत |
विश्वासपूर्वक | विश्वास के साथ |
तत्पुरुष समास की परिभाषा व उदाहरण
तत्पुरुष समास में पूर्व पद गौण और उत्तर पद प्रधान होता है | तत्पुरुष समास में किसी कारक की विभक्ति रहती है किन्तु समस्त पद में उसका लोप हो जाता है | इस समास में पहला पद बहुधा संज्ञा या विशेषण होता है |
कामताप्रसाद गुरु तत्पुरुष समास के तीन भेद ( १- तत्पुरुष २- कर्मधारय ३- द्विगु) और छह उपभेद (१- उपपद २- नअ ३- प्रादि ४- अलुक ५- मध्यमपद्लोपीय ६- मयूरव्यंसकादि) बताएं हैं|
कर्म तत्पुरुष समास
कर्म तत्पुरुष | |
समस्त पद | विग्रह |
कष्टापन्न | कष्ट को आपन्न (प्राप्त) |
आशातीत | आशा को अतीत (लांघकर गया हुआ) |
गृहागत | गृह को आगत |
स्वर्गप्राप्त | स्वर्ग को प्राप्त |
चिडिमार | चिड़ियों को मारने वाला |
पाकिटमार | पाकिट को मारने वाला |
गगनचुम्बी | गगन को चूमने वाला |
कठखोदवा | काठ को खोदने वाला |
गिरहकट | गिरह को काटने वाला |
मुंहतोड़ | मुंह को तोड़ने वाला |
करण तत्पुरुष समास
करण तत्पुरुष | |
समस्त पद | विग्रह |
अकालपीड़ित | अकाल से पीड़ित |
शराहत | शर से आहत |
मुंहमांगा | मुंह से माँगा |
वाग्युद्ध | वाक् से युद्ध |
आचारकुशल | आचार से कुशल |
नीतियुक्त | नीति से युक्त |
तुलसीकृत | तुलसी से कृत |
ईश्वरप्रदत्त | ईश्वर से प्रदत्त |
कपड़छना | कपडे से छना हुआ |
मदमाता | मद से माता |
प्रेमसिक्त | प्रेम से सिक्त |
देहचोर | देह से चोर |
मुंहचोर | मुंह से चोर |
पददलित | पद से दलित |
रसभरा | रस से भरा |
दुखसंतप्त | दुःख से संतप्त |
शोकाकुल | शोक से आकुल |
मेघाच्छन्न | मेघ से आच्छन्न |
करुणापूर्ण | करुणा से पूर्ण |
रोगपीड़ित | रोग से पीड़ित |
रोगग्रस्त | रोग से ग्रस्त |
शोकग्रस्त | शोक से ग्रस्त |
शोकार्त | शोक से आर्त |
श्रमजीवी | श्रम से जीने वाला |
कामचोर | काम से चोर |
मदान्ध | मद से अंध |
सम्प्रदान तत्पुरुष समास
सम्प्रदान तत्पुरुष | |
समस्त पद | विग्रह |
राहखर्च | राह के लिए खर्च |
हथकड़ी | हाथ के लिए कड़ी |
रसोईघर | रसोई के लिए घर |
कृष्णार्पण | कृष्ण के लिए अर्पण |
विद्यालय | विद्या के लिए आलय |
देशभक्ति | देश के लिए भक्ति |
विधानसभा | विधान के लिए सभा |
डाकमहसूल | डाक के लिए महसूल |
मालगोदाम | माल के लिए गोदाम |
देवालय | देव के लिए आलय |
गोशाला | गो के लिए शाला |
मार्गव्यय | मार्ग के लिए व्यय |
राहखर्च | राह के लिए खर्च |
लोकहितकारी | लोक के लिए हितकारी |
पुत्रशोक | पुत्र के लिए शोक |
सभाभवन | सभा के लिए भवन |
देशभक्ति | देश के लिए भक्ति |
शिवार्पण | शिव के लिए अर्पण |
साधुदक्षिणा | साधु के लिए दक्षिणा |
अपादान तत्पुरुष समास
अपादान तत्पुरुष | |
समस्त पद | विग्रह |
ऋणमुक्त | ऋण से मुक्त |
रणविमुख | रण से विमुख |
देशनिकाला | देश से निकाला |
दूरागत | दूर से आगत |
धर्मभ्रष्ट | धर्म से भ्रष्ट |
जन्मान्ध | जन्म से अंध |
पदच्युत | पद से च्युत |
लोकोत्तर | लोक से उत्तर |
मरणोत्तर | मरण से उत्तर |
धर्मविमुख | धर्म से विमुख |
पापमुक्त | पाप से मुक्त |
मायारिक्त | माया से रिक्त |
प्रेमरिक्त | प्रेम से रिक्त |
नेत्रहीन | नेत्र से हीन |
बलहीन | बल से हीन |
धनहीन | धन से हीन |
शक्तिहीन | शक्ति से हीन |
व्ययमुक्त | व्यय से मुक्त |
संबंध तत्पुरुष के उदाहरण
संबंध तत्पुरुष | |
समस्त पद | विग्रह |
हिमालय | हिम का आलय |
विद्यासागर | विद्या का सागर |
सभापति | सभा का पति |
राष्ट्रपति | राष्ट्र का पति |
पुस्तकालय | पुस्तक का आलय |
राजदरबार | राजा का दरबार |
राजपुत्र | राजा का पुत्र |
अमरस | आम का रस |
राजगृह | राजा का गृह |
चरित्रचित्रण | चरित्र का चित्रण |
ग्रामोद्धार | ग्राम का उद्धार |
चंद्रोदय | चन्द्र का उदय |
गुरुसेवा | गुरु की सेवा |
देशसेवा | देश की सेवा |
सेनानायक | सेना का नायक |
अन्नदान | अन्न का दान |
आनन्दाश्रम | आनंद का आश्रम |
श्रमदान | श्रम का दान |
देवालय | देव का आलय |
विरकन्या | वीर की कन्या |
रामायण | राम का अयन |
त्रिपुरारि | त्रिपुर का अरि |
खरारि | खर का अरि |
राजभवन | राजा का भवन |
गंगाजल | गंगा का जल |
प्रेमोपासक | प्रेम का उपासक |
रामोपासक | राम का उपासक |
विद्याभ्यास | विद्या का अभ्यास |
माधव | मा (लक्ष्मी) का धव (पति) |
पराधीन | पर के अधीन |
सेनापति | सेना का पति |
अधिकरण तत्पुरुष के उदाहरण
अधिकरण तत्पुरुष | |
समस्त पद | विग्रह |
हरफनमौला | हर फन में मौला |
शरणागत | शरण में आगत |
सर्वोत्तम | सर्व में उत्तम |
रणशूर | रण में शूर |
मुनिश्रेष्ठ | मुनियों में श्रेष्ठ |
आनंदमग्न | आनंद में मग्न |
पुरुषोत्तम | पुरुषों में उत्तम |
नरोत्तम | नारों में उत्तम |
पुरुषसिंह | पुरषों में सिंह |
ध्यानमग्न | ध्यान में मग्न |
ग्रामवास | ग्राम में वास |
कविश्रेष्ठ | कवियों में श्रेष्ठ |
शास्त्रप्रवीण | शास्त्रों में प्रवीण |
दानवीर | दान में वीर |
आत्मनिर्भर | आत्म पर निर्भर |
गृहप्रवेश | गृह में प्रवेश |
क्षत्रियाधम | क्षत्रियों में अधम |
नराधम | नारों में अधम |
आपबीती | आप पर बीती |
कविपुंगव | कवियों में पुंगव |
स्नेहमग्न | स्नेह में मग्न |
मृत्युंजय | मृत्यु पर विजय |
कर्मधारय समास भेद, परिभाषा, नियम, अर्थ
जिस शब्द से विशेष्य विशेषण भाव की प्राप्ति हो वहाँ कर्मधारय समास होता है | कर्मधारय समास के चार भेद / प्रकार होते हैं १- विशेषणपूर्वपद २- विशेष्यपूर्वपद ३- विशेषणोंभयपद ४- विशेष्योभयपद
कर्मधारय समास | |
समस्त पद | विग्रह |
सन्मार्ग | सत मार्ग |
महापुरुष | महान पुरुष |
महात्मा | महान आत्मा |
महावीर | महान वीर |
नवयुवक | नव युवक |
पीताम्बर | पीत अंबर |
सदभावना | सत भावना |
परमेश्वर | परम ईश्वर |
छुटभैये | छोटे भैये |
सज्जन | सत जन |
कापुरुष | कुत्सित पुरुष |
महाकाव्य | महान काव्य |
वीरबाला | वीर बाला |
कदन्न | कुत्सित अन्न |
नररत्न | नर रत्न के समान |
अधरपल्लव | अधर पल्लव के समान |
चरणकमल | चरण कमल के समान |
नरसिंह | नर सिंह के समान |
मुखचंद्र | मुख चंद्र के समान |
पद पंकज | पद पंकज के समान |
विद्यारत्न | विद्या ही है रत्न |
द्विगु समास की पहचान, परिभाषा, उदाहरण
जिस शब्द का प्रथम पद संख्यावाची हो वहाँ द्विगु समास होता है |कामताप्रसाद गुरु ने द्विगु को कर्मधारय तत्पुरुष का एक भेद माना है और इसे संख्यापूर्व कर्मधारय कहा है |
द्विगु समास | |
समस्त पद | विग्रह |
चतुर्वेद | चार वेदों का समाहार |
चौराहा | चार राहों का समाहार |
त्रिभुवन | तीन भवनों का समाहार |
त्रिलोक | तीन लोकों का समाहार |
दुअन्नी | दो आनों का समाहार |
नवरत्न | नव रत्नों का समाहार |
पंचपात्र | पाँच पात्रों का समाहार |
सतसई | सात सौ का समाहार |
त्रिफला | तीन फलों का समाहार |
त्रिपाद | तीन पादों का समाहार |
अष्टाध्यायी | अष्ट अध्यायों का समाहार |
पसेरी | पाँच सेरों का समाहार |
त्रिगुण | तीन गुणों का समाहार |
चवन्नी | चार आनों का समाहार |
त्रिकाल | तीन कालों का समाहार |
दुपहर | दूसरा पहर |
पंचप्रमाण | पाँच प्रमाण |
शतांश | शत अंश |
दुधारी | दो धारों वाली |
बहुव्रीहि समास की परिभाषा, भेद, नियम, उदाहरण
समास में आए हुए पदों को छोड़कर जब किसी अन्य पदार्थ की प्रधानता हो, तब उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं |इस समास के समासगत पदों में कोई भी प्रधान नहीं होता, बल्कि पूरा समस्त पद ही किसी अन्य पद का विशेषण होता है |
बहुव्रीहि समास के चार भेद / प्रकार होते हैं १- समानाधिकरण बहुव्रीहि २- तुल्ययोग बहुव्रीहि ३- व्यधिकरण बहुव्रीहि ४- व्यतिहार बहुव्रीहि
बहुव्रीहि समास | |
समस्त पद | विग्रह |
लम्बोदर | लम्बा है उदर जिसका |
दशानन | दस हैं आनन जिसके |
चतुर्भुज | चार हैं भुजाएँ जिसकी |
पीताम्बर | पीत है अंबर जिसका |
चतुरानन | चार हैं आनन जिसके |
प्राप्तोदक | प्राप्त है उदक जिसे |
जितेंद्रिय | जीती है इंद्रियाँ जिसने |
दत्तभोजन | दत्त है भोजन जिसे |
निर्धन | निर्गत है धन जिससे |
मिठबोला | मीठी है बोली जिसकी |
नेकनाम | नेक है नाम जिसके |
सतखंडा | सात है खंड जिसमें(महल) |
वज्रदेह | वज्र है देह जिसकी |
शांतिप्रिय | शांति है प्रिय जिसे |
चौलडी | चार है लड़ियाँ जिसमें |
सबल | जो बल के साथ हो |
सपरिवार | जो परिवार के साथ हो |
सदेह | जो देह के साथ हो |
द्वंद्व समास परिभाषा, पहचान, उदाहरण, भेद
द्वंद्व समास में पूर्व और उत्तर दोनों पद प्रधान होते हैं | द्वंद्व समास के कुल तीन भेद हैं १- इतरेतर द्वंद्व २- समाहार द्वंद्व ३- वैकल्पिक द्वंद्व |
जिसमें और के माध्यम से दो पद आपस में जुड़ते हैं वहाँ इतरेतर द्वंद्व होता है | जब द्वंद्व समास के दोनों पद और समुच्चयबोधक से जुड़े होने पर भी पृथक-पृथक अस्तित्व न रखें बल्कि समूह का बोध कराए तब वहाँ समाहार द्वंद्व होता है | जिस द्वंद्व समास में ‘या’ ‘अथवा’ आदि विकल्पसुचक अव्यय छिपे हों, उसे वैकल्पिक द्वंद्व कहते हैं |
द्वंद्व समास | |
समस्त पद | विग्रह |
लेनदेन | लेन और देन |
शिवपार्वती | शिव और पार्वती |
राधाकृष्ण | राधा और कृष्ण |
धनुर्बाण | धनुष और बाण |
देवासुर | देव और असुर |
हरिशंकर | हरि और शंकर |
भाईबहन | भाई और बहन |
सीताराम | सीता और राम |
गौरीशंकर | गौरी और शंकर |
देशविदेश | देश और विदेश |
पापपुण्य | पाप और पुण्य |
भलाबुरा | भला और बुरा |
घर-द्वार | घर-द्वार वगैरह (परिवार) |
नहाया-धोया | नहाया-धोया वगैरह |
कपड़ा-लत्ता | कपड़ा-लत्ता वगैरह |
घर-आँगन | घर-आँगन वगैरह |
रूपया-पैसा | रूपया-पैसा वगैरह |
लाभालाभ | लाभ या अलाभ |
पाप-पुण्य | पाप या पुण्य |
ठंडा-गरम | ठंडा या गरम |
थोड़ा-बहुत | थोड़ा या बहुत |
भला-बुरा | भला या बुरा |
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