रासो साहित्य

रासो साहित्य आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने प्रकरण तीन में वीरगाथा काल और रासो साहित्य का चित्रण किया है। इस समय जैन साहित्य में रास एक छंद की शैली थी। जिसे राजस्थान के राजाओं ने एवं राज्याश्रित कवियों ने वीरतापूर्ण गान के लिए लिखने का एक ढंग बना लिया। जिसे रासो साहित्य कहा गया। रासो साहित्य … Read more

विद्यापति का जीवन परिचय

विद्यापति का जीवन परिचय विद्यापति का जन्म  सन 1360 ई. में और मृत्यु 1448 ई. में हुआ था। विद्यापति का जन्म बिसपी नामक गाँव के दरभंगा जिले के अंतर्गत विहार राज्य में हुआ था। विद्यापति के पिता गणपतिठाकुर जो दरभंगा नरेश गणेश्वर के यहाँ रहते थे। उनकी स्मृति में विद्यापति ने ‘गंगा भक्ति तरंगिणी’ लिखा है। विद्यापति तिरहुत … Read more

हिंदी साहित्य के आदिकाल का अपभ्रंश साहित्य और जैन साहित्य

हिंदी साहित्य के आदिकाल का अपभ्रंश साहित्य और जैन साहित्य

हिंदी साहित्य के आदिकाल का अपभ्रंश साहित्य और जैन साहित्य  हिंदी साहित्य का आदिकाल में अपभ्रंश साहित्य के महत्त्वपूर्ण कवियों का परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करेंगे | अपभ्रंश साहित्य में ही जैन साहित्य की विशेषताओं को सम्मिलित किया गया है | आदिकाल की महत्त्वपूर्ण पंक्ति जो प्राय: परीक्षाओं में पूछी जाती है | … Read more

आदिकाल के महत्त्वपूर्ण कथन

आदिकाल के महत्त्वपूर्ण कथन

आदिकाल के महत्त्वपूर्ण कथन आदिकाल के महत्त्वपूर्ण कथन, परिक्षोपयोगी आदिकाल के कथन, हिंदी साहित्य के आदिकाल निम्नलिखित कथन प्रायः प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। ➡️ जो जिण सासण भाषियउ सो भइ कहियड सारु । जो पालइ सइ भाउ करि सो सरि पावइ पारु ॥ – देवसेन (श्रावकाचार) ➡️ पंडिअ सअल सत्त बक्खाणइ । देहहि … Read more

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