हिंदी के प्रथम कवि को लेकर विद्वानों में परस्पर मतभेद है | अलग अलग विद्वान हिंदी के प्रथम कवि को अलग अलग बताते हैं | सर्वसम्मति से हिंदी का प्रथम प्रमाणिक कवि सरहपाद को माना जाता है | हिंदी साहित्य के प्रथम कवि, हिंदी के प्रथम कवि का नाम,
डॉ. शिवसिंह सेंगर ने 7वीं शताब्दी में उत्पन्न पुष्य या पुण्ड नामक किसी कवि को हिन्दी का प्रथम कवि माना था पर इस कवि की रचना नहीं मिलती, केवल इनका नामोल्लेख मिलता है।
पं. राहुल सांकृत्यायन ने सातवीं शताब्दी के सरहपाद को हिन्दी का प्रथम कवि माना है, जो 84 सिद्धों में एक हैं।
डॉ. गणपतिचन्द्र गुप्त ने ‘हिन्दी – साहित्य के वैज्ञानिक इतिहास’ में भरतेश्वर बाहुबली रस के रचयिता शालिभद्र सूरी को हिन्दी का प्रथम कवि माना है।
हिंदी की उत्पत्ति संवत् 700 के आसपास मानी गई क्योंकि पुण्ड अथवा पुष्य नामक हिंदी का पहला कवि सं 770 में हुआ। मिश्र बंधु सभी मतों पर दृष्टिपात करने पर ‘सरहपाद’ को ही हिन्दी का प्रथम कवि माना जाना चाहिए। भाषा की दृष्टि से वे हिन्दी के अधिक निकट हैं। सरहपाद की शैली दोहा पद शैली है, जिसे बाद में अनेक हिंदी कवियों ने अपनाया।
हिंदी के प्रथम कवि के संबंध में विविध मत
⇒ स्वयंभू (790 ई.) – डॉ. रामकुमार वर्मा
⇒ सरहपा (769 ई.)- राहुल सांकृत्यायन व डॉ. नगेन्द्र
⇒ पुष्य या पुण्ड (613 ई./सं. 670 ) – डॉ. शिवसिंह सेंगर, मिश्रबंधु
⇒ राजा मुंज (993 ई./सं. 1050 ) – चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’
⇒ अब्दुर्रहमान (11वीं शती) – डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी
⇒ शालिभद्र सूरि (1184 ई.) – डॉ. गणपतिचंद्र गुप्त
⇒ विद्यापति (15वीं सदी) – डॉ. बच्चन सिंह
सरहपा – सभी दृष्टियों से हिंदी के प्रथम कवि हैं और अधिकांश विद्वानों द्वारा सरहपा प्रथम कवि के रूप में मान्य हैं।