अष्टछाप स्मरणीय तथ्य

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अष्टछाप के संस्थापक वल्लभाचार्य के पुत्र विट्ठलनाथ थे।

अष्टछाप की स्थापना 1565 ई. ।

अष्टछाप में 8 कवि (वल्लभाचार्य के 4 शिष्य + विट्ठलनाथ के 4 शिष्य) थे।

वल्लभाचार्य के शिष्य 1. कुंभनदास, 2. सूरदास, 3. परमानंददास, 4. कृष्णदास

⇒ विट्ठलनाथ के शिष्य 1. गोविंद स्वामी, 2. छीतस्वामी, 3. चतुर्भुजदास, 4. नंददास

अष्टछाप अथवा अष्टसखा के कवियों का रचनाकाल 1500 से 1585 ई. है।

अष्टछाप के कवियों में भाषा के सबसे धनी कवि – सूरदास

अष्टछाप के कवियों में सूर के पश्चात् सर्वाधिक प्रसिद्ध कवि – नंददास

अष्टछाप के कवियों में शब्द शिल्पी – नंददास

अष्टछाप के कवियों में काव्य सौष्ठव एवं भाषा की प्राजंलता में सूरदास के बाद दूसरे स्थान के कवि – नंददास

अष्टछाप के प्रथम कवि – कुंभनदास

अष्टछाप कवियों में वह कवि जिनका महत्त्व साहित्यिक दृष्टि से न होकर ऐतिहासिक दृष्टि और व्यवस्था संचालन की दृष्टि से ज्यादा था –कृष्णदास

रचना की प्रचुरता तथा विषय की विविधता की दृष्टि से अष्टछाप के कवियों में सबसे ऊँचा स्थान – नंददास

अष्टछाप के कवियों में पिता पुत्र कवि – कुंभनदास – चतुर्भुजदास

अष्टछाप के प्रथम व सबसे ज्येष्ठ कवि –कुंभनदास

अष्टछाप के सबसे कनिष्ठ कवि –नंददास

काव्य सौष्ठव एवं साहित्य रचना की उत्कृष्टता की दृष्टि से अष्टछाप के कवियों में सर्वश्रेष्ठ कवि –सूरदास (नंददास दूसरे स्थान पर)

अष्टछाप के कवियों में सूर के उपरांत वात्सल्य रस का सर्वश्रेष्ठ चित्रण करने वाले द्वितीय कवि –परमानंददास

अष्टछाप के कवियों में सूर के बाद कृष्ण की सम्पूर्ण लीलाओं पर रचना करने वाले कवि –परमानंददास

अष्टछाप के कवियों में अपनी उद्दंडता के कारण प्रसिद्ध कवि –छीतस्वामी

काव्य सौष्ठव की दृष्टि से सूर एवं नंददास के बाद अष्टछाप के कवियों में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्तकर्त्ता कवि –परमानंददास

अष्टछाप के वह कवि जिनके पद सुनकर वल्लाभाचार्य कई दिनों तक बेहोश पड़े रहे थे – परमानंददास

अष्टछाप का वह कवि जिनके मनोहर गान को सुनने एवं संगीत सीखने के लिए स्वयं तानसेन उपस्थित हुए थे – गोविंदस्वामी

अष्टछाप कवियों में प्रसिद्ध कवि, संगीतज्ञ एवं गवैये —गोविंदस्वामी

अष्टछाप के कवियों में बुद्धि, योग्यता एवं प्रबंध -कुशलता के कारण अधिकारी पद पर आसीन होने वाले कवि – कृष्णदास

अष्टछाप के कवियों में सर्वाधिक काव्यशास्त्रीय कवि –नंददास

राजा मानसिंह किस अष्टछाप कवि को सोने की तलवार, मुहरें इत्यादि देनी चाही थी जिसे उसने इंकार कर दिया था – कुंभनदास

मुगल सम्राट् अकबर के फतेहपुर निमंत्रण पर किस अष्टछाप के कवि को बेहद ग्लानि हुई थी और उन्होंने यह कहा था संतन कहा सीकरी सों काम –कुंभनदास

अष्टछाप के कवियों का प्रधान विषय – कृष्णलीला एवं कृष्णभक्ति

अष्टछाप के कवियों में कृष्णलीला का सम्पूर्ण वर्णन करने वाले कवि – सूरदास एवं परमानंददास

शब्द-गठन कौशल की दृष्टि से अष्टछाप कवियों में सर्वश्रेष्ठ नंददास थे तो पद-रचना की दृष्टि से परमानंद दास तथा संगीतात्मकता की दृष्टि से– गोविंदस्वामी

अष्टछाप कवियों में जड़िया कवि – नंददास

अष्टछाप कवियों में हिंदी का गीतगोविंद कही जाने वाली रचना रासपंचाध्यायी नंददास कृत (वियोगी हरि ने कोमलकांत पदावली के कारण कहाहै)

राजस्थान से संबंधित अष्टछाप कवियों में एकमात्र कवि जिनका संबंध आंतरी भरतपुर से था – गोविंदस्वामी

ब्रजमंडल के महावन स्थान ( कदमखंडी स्थान) में निवास करने वाले अष्टछाप कवि – गोविंदस्वामी

 

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